बच्ची की डेंगू से मौत के मामले में संकट में फोर्टिस अस्पताल
सेहतराग टीम
पिछले साल गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में एक सात साल की बच्ची की डेंगू से मौत और इस मामले में अस्पताल द्वारा बच्ची के परिजनों से 17 लाख रुपये का भारी-भरकम बिल वसूले जाने का मामला सुर्खियों में रहा था। इस मामले में हल्ला-हंगामा तो खूब हुआ मगर अंतिम कार्रवाई कुछ नहीं हुई। हरियाणा सरकार ने भी उस समय तो मीडिया में बहुत बढ़-चढ़ कर दावे किए और अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने तक की बात कही गई मगर वास्तव में कुछ नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
मगर अब लगता है कि बच्ची के परिजनों ने इस मामले में अस्पताल की जिम्मेदारी तय करवाने का इरादा कर लिया है। इसके तहत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है और अस्पताल से 10 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है।
अदालत ने नोटिस जारी किया
उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर केंद्र, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। याचिका बच्ची के पिता ने दायर की है। याचिका में उन्होंने चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए गुड़गांव के इस अस्पताल से 10 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है।
न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए.एम. सप्रे की पीठ ने बच्ची आद्या के पिता की याचिका पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा परिषद, हरियाणा सरकार, गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, अस्पताल के चिकित्सक तथा अन्य को नोटिस जारी किया। पिछले वर्ष नवंबर में उपचार के दौरान बच्ची की मौत हो गई थी।
चिकित्सीय लापरवाही का आरोप
याचिकाकर्ता जयंत सिंह ने आरोप लगाया कि अस्पताल के ‘चिकित्सीय कदाचार और गलत उपचार देने से इलाज लंबा खींचा और अस्पताल ने उनकी बेटी की जिंदगी की कीमत पर भारी मुनाफा कमाया।’
अपनी याचिका में उन्होंने अस्पताल और उस चिकित्सक का लाइसेंस रद्द करने की भी मांग की है जिसकी लापरवाही की वजह से उनकी बेटी की जान गई।
यूं सुर्खियों में आया था मामला
गौरतलब है कि बच्ची की मौत के बाद अस्पताल द्वारा वसूले गए भारी-भरकम बिल की जानकारी जयंत सिंह के एक दोस्त ने ट्विटर पर साझा की और इस ट्वीट में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को भी टैग किया था। ये ट्वीट वायरल हो गया और इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री को ये आश्वासन देना पड़ा था कि वे मामले की जांच कराएंगे। अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर हंगामा मचने के बाद हरियाणा सरकार की भी नींद टूटी और मामले की जांच के आदेश दिए गए। हरियाणा सरकार ने तब दावा किया था कि जांच में अस्पताल की गलती पाई गई है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी मगर हकीकत में कुछ नहीं हुआ। अब सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद उम्मीद है कि शायद इस मामले में कुछ हो।
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